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गरीबी रेखा क्या है और यह कैसे तय होती है

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि गरीबी रेखा क्या है, इसे तय करने के मानदंड क्या हैं, भारत में गरीबी रेखा के निर्धारण का इतिहास क्या है, और वर्तमान समय में यह क्यों महत्वपूर्ण है।


गरीबी रेखा क्या है और यह कैसे तय होती है

प्रस्तावना

भारत जैसे विशाल देश में गरीबी एक बहुत बड़ा सामाजिक और आर्थिक मुद्दा है। सरकारें समय-समय पर गरीबों की पहचान करने और उन्हें विभिन्न योजनाओं का लाभ पहुँचाने के लिए गरीबी रेखा (Poverty Line) तय करती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह गरीबी रेखा आखिर होती क्या है और इसे तय करने का पैमाना कौन-सा है?


गरीबी रेखा क्या है?

गरीबी रेखा (Poverty Line) वह न्यूनतम आय अथवा उपभोग स्तर है, जिसके आधार पर यह तय किया जाता है कि कोई व्यक्ति गरीब है या नहीं।

  • यदि किसी व्यक्ति या परिवार की आय इस निर्धारित रेखा से कम है, तो उसे गरीबी रेखा से नीचे (BPL – Below Poverty Line) माना जाता है।
  • और यदि उसकी आय गरीबी रेखा से अधिक है, तो वह गरीबी रेखा से ऊपर (APL – Above Poverty Line) की श्रेणी में आता है।

सरल शब्दों में: गरीबी रेखा एक आर्थिक मानक है, जो यह बताती है कि किसी व्यक्ति को न्यूनतम जीवन स्तर बनाए रखने के लिए कितनी आय की आवश्यकता है।


गरीबी रेखा तय करने के मानदंड

गरीबी रेखा तय करने के लिए कई मानक अपनाए जाते हैं। इनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

1. आय (Income) आधारित मानक

  • व्यक्ति या परिवार की मासिक/वार्षिक आय के आधार पर निर्धारण।
  • यदि आय न्यूनतम सीमा से कम है तो वह गरीब कहलाता है।

2. उपभोग व्यय (Consumption Expenditure)

  • यह देखा जाता है कि व्यक्ति भोजन, कपड़े, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं पर कितना खर्च कर पा रहा है।
  • भारत में प्रायः कैलोरी उपभोग (Calorie Intake) को भी आधार माना गया है।

3. पोषण आधारित मानक (Calorie Norms)

  • ग्रामीण क्षेत्र: प्रति व्यक्ति 2400 कैलोरी प्रतिदिन
  • शहरी क्षेत्र: प्रति व्यक्ति 2100 कैलोरी प्रतिदिन
  • यदि कोई व्यक्ति इस स्तर का भोजन वहन नहीं कर पा रहा है तो उसे गरीब माना जाता है।

भारत में गरीबी रेखा का इतिहास

भारत में गरीबी रेखा तय करने की प्रक्रिया का लंबा इतिहास रहा है। आइए इसे चरणबद्ध तरीके से समझते हैं:

1. दादाभाई नौरोजी (19वीं शताब्दी)

  • इन्होंने "Poverty and Un-British Rule in India" पुस्तक में पहली बार गरीबी का ज़िक्र किया।
  • इनके अनुसार, एक व्यक्ति के न्यूनतम खर्च को गरीबी का पैमाना माना जा सकता है।

2. Planning Commission (1950 के बाद)

  • आज़ादी के बाद योजना आयोग ने गरीबी मापने की जिम्मेदारी ली।
  • 1962 में पहली बार गरीबी रेखा तय करने का प्रयास हुआ।

3. लक्ष्मण समिति (1971)

  • इस समिति ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए अलग-अलग कैलोरी आधारित गरीबी रेखा की सिफारिश की।
  • ग्रामीण: 2400 कैलोरी, शहरी: 2100 कैलोरी।

4. तेंदुलकर समिति (2009)

  • इस समिति ने गरीबी मापने के लिए केवल भोजन नहीं बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य खर्चों को भी शामिल किया।
  • तेंदुलकर समिति के अनुसार:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में ₹816 प्रति व्यक्ति प्रति माह
    • शहरी क्षेत्रों में ₹1000 प्रति व्यक्ति प्रति माह

5. रंगराजन समिति (2014)

  • इस समिति ने गरीबी रेखा को और व्यापक रूप से परिभाषित किया।
  • इसके अनुसार:
    • ग्रामीण क्षेत्रों में ₹972 प्रति व्यक्ति प्रति माह
    • शहरी क्षेत्रों में ₹1407 प्रति व्यक्ति प्रति माह

वर्तमान समय में गरीबी रेखा

आज के समय में गरीबी केवल भोजन से जुड़ा मुद्दा नहीं है। इसमें शामिल हैं:

  • शिक्षा की उपलब्धता
  • स्वास्थ्य सुविधाएँ
  • रोज़गार के अवसर
  • पोषण स्तर
  • आवास और बुनियादी सुविधाएँ

भारत सरकार अब गरीबी रेखा तय करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण (Multidimensional Poverty Index – MPI) अपना रही है।


भारत में गरीबी के आँकड़े (NITI Aayog Report अनुसार)

  • 2015-16 से 2019-21 के बीच लगभग 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए।
  • ग्रामीण भारत में गरीबी दर शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक पाई जाती है।
  • बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में गरीबी का स्तर अपेक्षाकृत अधिक है।

गरीबी रेखा का महत्व

गरीबी रेखा तय करना क्यों ज़रूरी है? इसके मुख्य कारण हैं:

  1. नीतिगत निर्णय: सरकार गरीबी उन्मूलन योजनाएँ इन्हीं आंकड़ों के आधार पर बनाती है।
  2. लाभार्थी की पहचान: किसे राशन, स्वास्थ्य और अन्य सब्सिडी का लाभ मिलना चाहिए, यह गरीबी रेखा से तय होता है।
  3. विकास का आकलन: समय-समय पर गरीबी रेखा की स्थिति देखकर यह पता चलता है कि देश की आर्थिक नीतियाँ कितनी सफल हैं।

गरीबी रेखा से जुड़ी चुनौतियाँ

  1. मुद्रास्फीति का प्रभाव (Inflation): समय के साथ खर्च बढ़ता है लेकिन गरीबी रेखा अपडेट नहीं होती।
  2. ग्रामीण-शहरी असमानता: दोनों क्षेत्रों की आवश्यकताएँ अलग-अलग हैं।
  3. बहुआयामी पहलुओं की अनदेखी: केवल भोजन या आय को आधार मानना पर्याप्त नहीं है।
  4. सही आँकड़े जुटाने की समस्या: सर्वेक्षण में अक्सर सही जानकारी नहीं मिल पाती।

सरकार की प्रमुख योजनाएँ गरीबी उन्मूलन के लिए

  • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
  • मनरेगा (MGNREGA)
  • प्रधानमंत्री आवास योजना
  • जनधन योजना
  • आयुष्मान भारत योजना
  • उज्ज्वला योजना

भविष्य में गरीबी रेखा का स्वरूप

भविष्य में गरीबी रेखा केवल आय और भोजन तक सीमित नहीं रहेगी। इसमें शामिल होंगे:

  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
  • स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुँच
  • स्वच्छ जल और स्वच्छता
  • रोज़गार और कौशल विकास
  • डिजिटल सुविधा और सामाजिक सुरक्षा

निष्कर्ष

गरीबी रेखा एक ऐसा पैमाना है जो किसी भी देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को दर्शाता है। भारत ने पिछले दशकों में गरीबी कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन अब भी करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जरूरत है कि गरीबी रेखा तय करने के तरीकों को और अधिक व्यापक और यथार्थवादी बनाया जाए, ताकि हर नागरिक को जीवन की बुनियादी सुविधाएँ मिल सकें।


अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q1. गरीबी रेखा किसे कहते हैं?
गरीबी रेखा वह न्यूनतम आय या उपभोग स्तर है जिसके आधार पर तय होता है कि कोई व्यक्ति गरीब है या नहीं।

Q2. भारत में गरीबी रेखा तय करने का आधार क्या है?
शुरुआत में यह कैलोरी आधारित था लेकिन अब आय, उपभोग, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य बुनियादी जरूरतों को भी शामिल किया जाता है।

Q3. गरीबी रेखा से नीचे (BPL) कार्ड क्या है?
यह एक पहचान पत्र है जो गरीब परिवारों को दिया जाता है ताकि वे सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।

Q4. वर्तमान में भारत में गरीबी का स्तर कितना है?
NITI Aayog के अनुसार 2015-16 से 2019-21 के बीच 13.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, लेकिन अब भी करोड़ों लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।

Q5. भविष्य में गरीबी कैसे कम की जा सकती है?
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, रोज़गार सृजन, स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के ज़रिए गरीबी को कम किया जा सकता है।

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