यूपीएससी परीक्षा में यह विषय GS पेपर 2 के अंतर्गत आता है, जहाँ केस स्टडीज जैसे केशवानंद भारती मामले (मौलिक संरचना सिद्धांत) पर फोकस रहता है। संवैधानिक नैतिकता बहस का केंद्र है, जो आधुनिक चुनौतियों से निपटने में सहायक है। संविधान और नागरिक अधिकार: भारतीय लोकतंत्र की नैतिक आधारशिला भारत का संविधान केवल शासन संचालन का विधिक दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे राष्ट्र की सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है, जिसने औपनिवेशिक दमन, सामाजिक अन्याय और राजनीतिक असमानताओं को भोगते हुए स्वतंत्रता का मूल्य समझा। इसी ऐतिहासिक अनुभव ने भारतीय संविधान को नागरिक अधिकारों के प्रति अत्यंत संवेदनशील और प्रतिबद्ध बनाया। संविधान और नागरिक अधिकारों के मध्य संबंध ऐसा है, जहाँ संविधान अधिकारों को जन्म देता है और अधिकार संविधान को जीवंत बनाए रखते हैं। वास्तव में, यदि संविधान राज्य की शक्ति को परिभाषित करता है, तो नागरिक अधिकार उस शक्ति की सीमा रेखा खींचते हैं। लोकतंत्र की सार्थकता केवल मतदान तक सीमित नहीं होती, बल्कि तब पूर्ण होती है जब नागरिकों को गरिमा, स्वतंत्रता और समानता के साथ जीने का अवसर मिले। यही वह द...