बाजार सफलता (Market Success) का मतलब है कि कोई उत्पाद, सेवा, ब्रांड या कंपनी बाजार में अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर लेती है। लेकिन ये लक्ष्य हर कंपनी के लिए अलग-अलग हो सकते हैं। सामान्य तौर पर बाजार सफलता को निम्नलिखित संकेतकों से मापा जाता है:
बाज़ार विफलता का कारण, विश्लेषण और UPSC स्तर की संपूर्ण व्याख्या
मुक्त बाजार व्यवस्था में यह मान लिया जाता है कि कीमत (Price Mechanism) संसाधनों का सर्वाधिक कुशल आवंटन कर देती है। लेकिन कई परिस्थितियों में ऐसा नहीं होता, और अर्थव्यवस्था Pareto Optimality से दूर चली जाती है। इसी स्थिति को बाज़ार की विफलता (Market Failure) कहा जाता है।
UPSC/PCS, UGC-NET और अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ बाज़ार विफलता के 8 प्रमुख कारणों, उनके सिद्धांतात्मक आधार, उदाहरण, और सरल आरेख-आधारित वर्णन को अत्यंत सुगम भाषा में समझाया गया है।
1. बाह्यताएँ (Externalities)
जब किसी आर्थिक गतिविधि का प्रभाव तीसरे व्यक्ति पर पड़े और उसका कोई बाज़ार-लेनदेन न हो, तब बाह्यता उत्पन्न होती है।
प्रकार
- सकारात्मक बाह्यता: शिक्षा, टीकाकरण, स्वच्छता
- नकारात्मक बाह्यता: प्रदूषण, धूम्रपान, औद्योगिक कचरा
आर्थिक समस्या
नकारात्मक बाह्यता में वास्तविक सामाजिक लागत (MSC) निजी लागत (MPC) से अधिक होती है → बाजार अतिउत्पादन करता है।
सरल आरेख का वर्णन
- MSC वक्र, MPC से ऊपर होता है।
- बाज़ार उत्पादन (Qmarket) > सामाजिक रूप से इष्टतम उत्पादन (Qoptimal)।
समाधान
पिगूवियन कर (Pigouvian Tax), सब्सिडी, Coase Bargaining।
2. सार्वजनिक वस्तुएँ (Public Goods)
ये वस्तुएँ Non-Rival और Non-Excludable होती हैं।
उदाहरण — राष्ट्रीय सुरक्षा, स्ट्रीट लाइट, लाइटहाउस।
समस्या
- Free Rider Problem
- कोई व्यक्ति भुगतान नहीं करता, पर लाभ लेता है।
- बाज़ार इनके उत्पादन में विफल होता है।
आरेख (वर्णन)
- उपभोक्ताओं की मांग का ऊर्ध्वाधर जोड़ Social Demand बनाता है।
- मुक्त बाजार में मूल्य > 0 हो तो मांग लगभग शून्य।
- इसीलिए Qmarket = 0 → पर Qoptimal > 0।
समाधान
सरकारी उत्पादन और टैक्स आधारित वित्तपोषण।
3. प्राकृतिक एकाधिकार (Natural Monopoly)
यह तब बनता है जब एक ही फर्म पूरे बाजार की आपूर्ति सबसे कम लागत पर कर सकती है।
उदाहरण — बिजली वितरण, रेलवे, पाइपलाइन नेटवर्क।
आर्थिक आधार
- अत्यधिक स्थिर लागत (High Fixed Cost)।
- बढ़ते पैमाने के लाभ (Economies of Scale)।
आरेख का वर्णन
- AC वक्र लगातार नीचे जाता है।
- कई फर्में आएँगी तो लागत बढ़ेगी, इसलिए एक फर्म का होना ही कुशल है।
समाधान
नियमन (Regulation), मूल्य नियंत्रण, कभी-कभी सरकारी स्वामित्व।
4. असममित सूचना (Asymmetric Information)
जब लेन-देन में एक पक्ष दूसरे से अधिक सूचना रखता है, तो बाजार गलत परिणाम देता है।
प्रकार
- Adverse Selection: खरीद से पहले छिपी जानकारी (पुरानी कार – Akerlof का Lemons मॉडल)
- Moral Hazard: अनुबंध के बाद जोखिमपूर्ण व्यवहार (बीमा में लापरवाही)
आरेख वर्णन
- अच्छी कारों की आपूर्ति उच्च कीमत पर होती है।
- लेकिन खरीदार औसत कीमत देने को तैयार होता है → केवल खराब कार बचती है।
समाधान
सिग्नलिंग (Signalling), स्क्रीनिंग (Screening), नियमन, अनिवार्य खुलासा (Disclosure)।
5. बाजार शक्ति (Market Power: Monopoly/Oligopoly)
जब एक या कुछ कंपनियाँ कीमत तय कर सकें (Price Maker), तो बाजार संतुलन विकृत होता है।
समस्या
- MR < Price
- उत्पादन कम (Qm), कीमत ज़्यादा (Pm)
- उपभोक्ता अधिशेष घटता है, Deadweight Loss पैदा होता है।
आरेख (वर्णन)
- MC और MR के प्रतिच्छेदन पर Qm तय होता है।
- मांग वक्र से Pm प्राप्त।
- प्रतिस्पर्धी स्थिति में Qc अधिक होता।
समाधान
प्रतिस्पर्धा कानून (Competition Law), एंटी-ट्रस्ट नीति, मूल्य नियमन।
6. आय एवं संपत्ति का असमान वितरण
बाजार उस व्यक्ति को वस्तु देता है जिसकी भुगतान क्षमता अधिक है, न कि जिसे ज़रूरत अधिक है।
समस्या
- गरीब लोग स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे आवश्यक संसाधन नहीं खरीद पाते।
- सामाजिक कल्याण (Social Welfare) घटता है।
- इसलिए यह भी बाजार विफलता का कारण माना जाता है।
आरेख
- आय वितरण दर्शाने हेतु लोरेंज वक्र (Lorenz Curve)।
समाधान
प्रगतिशील कर प्रणाली (Progressive Taxation), सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम।
7. अपूर्ण या सीमित जानकारी (Imperfect Information)
जब उपभोक्ता/उत्पादक के पास सही, पूर्ण, और समयानुकूल जानकारी नहीं हो:
प्रभाव
- खराब निर्णय
- उत्पाद की गुणवत्ता का मूल्यांकन कठिन
- बाज़ार संतुलन अप्रभावी
उदाहरण
नौकरी बाज़ार में वेतन जानकारी की कमी, चिकित्सा दवाओं की गुणवत्ता की अनिश्चितता।
समाधान
रेटिंग एजेंसियाँ, उत्पाद मानकीकरण, सूचना नियम (Consumer Protection Law)।
8. संसाधन अचलता एवं समन्वय विफलता (Immobility & Coordination Failure)
जब उत्पादन कारक (श्रम, पूँजी) क्षेत्र/उद्योगों के बीच पर्याप्त तेजी से नहीं जा पाते, या पूरक निवेश न होने से विकास रुक जाता है।
उदाहरण
- उद्योग स्थापित होने से पहले घर नहीं बनते → घर नहीं, तो उद्योग नहीं।
- श्रम का माइग्रेशन धीमा, कौशल का अभाव।
आरेख (वर्णन)
- अर्थव्यवस्था "निम्न-स्तर संतुलन" में फँस सकती है।
- उच्च संतुलन पर जाने के लिए समन्वित प्रयास आवश्यक।
समाधान
सरकारी समन्वय, बुनियादी ढाँचा निवेश, कौशल विकास।
बाजार विफलता: एक सारांश तालिका
| क्रम | कारण | मुख्य समस्या | समाधान |
|---|---|---|---|
| 1 | बाह्यताएँ | बाहरी लागत/लाभ अनदेखा | पिगू कर/सब्सिडी |
| 2 | सार्वजनिक वस्तुएँ | Free Rider | सरकारी उत्पादन |
| 3 | प्राकृतिक एकाधिकार | उच्च निश्चित लागत | नियमन/सरकारी स्वामित्व |
| 4 | असममित सूचना | Lemon Problem, Moral Hazard | सिग्नलिंग, स्क्रीनिंग |
| 5 | बाजार शक्ति | MR < P | एंटी-ट्रस्ट, नियमन |
| 6 | आय असमानता | जरूरत बनाम क्षमता | पुनर्वितरण, प्रगतिशील कर |
| 7 | अपूर्ण जानकारी | गलत निर्णय | मानकीकरण, उपभोक्ता संरक्षण |
| 8 | समन्वय विफलता | Multiple Equilibria | सरकारी हस्तक्षेप |
निष्कर्ष
बाज़ार हमेशा परिपूर्ण नहीं होता, और कई आर्थिक, सामाजिक तथा संस्थागत कारणों से इष्टतम परिणाम नहीं दे पाता। इसलिए सरकार का दायित्व है कि वह इन विफलताओं को सुधारने के लिए उचित नीतियाँ — जैसे कर, सब्सिडी, नियमन, सार्वजनिक निवेश, सूचना सुधार — लागू करे।
UPSC/PCS परीक्षाओं में यह विषय मूलभूत (Core) सिद्धांतों में गिना जाता है। एक बार इन 8 कारणों को समझ लेने के बाद अधिकांश अर्थशास्त्रीय मॉडल और प्रश्न आसानी से हल किए जा सकते हैं
लेखक : पंकज कुमार
मैं पंकज कुमार 2018 से ब्लॉगिंग के दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य छात्रों और युवाओं को सही करियर दिशा देना है। यहाँ हम आसान भाषा में करियर गाइड, भविष्य में डिमांड वाले कोर्स, जॉब टिप्स, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षा से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।
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