राजकोषीय असंतुलन सरकार के राजस्व और व्यय के बीच का बुनियादी असंतुलन है, जो वित्तीय स्थिरता को प्रभावित करता है। भारत जैसे संघीय ढांचे में यह ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज प्रकारों में प्रकट होता है।
राजकोषीय असंतुलन: प्रकार, कारण और भारतीय संदर्भ के लिए संपूर्ण नोट्स
“जब सरकार की आय और व्यय के बीच संतुलन बिगड़ता है, तो केवल बजट ही नहीं—पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है।”
यही स्थिति राजकोषीय असंतुलन (Fiscal Imbalance) कहलाती है। UPSC, State PCS और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में यह विषय बार-बार पूछा जाता है, क्योंकि यह राजकोषीय नीति, संघवाद, आर्थिक स्थिरता और विकास—सबसे जुड़ा हुआ है।
राजकोषीय असंतुलन क्या है? (What is Fiscal Imbalance?)
जब सरकार के राजस्व (Revenue) और व्यय (Expenditure) के बीच निरंतर असंतुलन बना रहता है, तो उसे राजकोषीय असंतुलन कहते हैं।
सरल शब्दों में:
कम आय + अधिक खर्च = राजकोषीय असंतुलन
राजकोषीय असंतुलन के प्रमुख प्रकार
UPSC के दृष्टिकोण से राजकोषीय असंतुलन को मुख्यतः दो स्तरों पर समझा जाता है—
- ऊर्ध्वाधर (Vertical Fiscal Imbalance)
- क्षैतिज (Horizontal Fiscal Imbalance)
इसके अतिरिक्त कुछ व्यावहारिक व संरचनात्मक रूप भी हैं, जिन्हें उत्तर में लिखने से उत्तर समृद्ध बनता है।
1. ऊर्ध्वाधर राजकोषीय असंतुलन (Vertical Fiscal Imbalance)
अर्थ
जब केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आय के स्रोतों और व्यय की जिम्मेदारियों में असंतुलन होता है।
भारत में स्थिति
- केंद्र के पास अधिक कराधान शक्तियाँ हैं
- राज्यों पर अधिक व्यय जिम्मेदारियाँ (स्वास्थ्य, शिक्षा, पुलिस)
उदाहरण:
- आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स → केंद्र
- स्वास्थ्य, कृषि, कानून-व्यवस्था → राज्य
परिणाम
- राज्य केंद्र पर निर्भर
- अनुदान और कर-वितरण की आवश्यकता
संवैधानिक समाधान
- वित्त आयोग (अनुच्छेद 280)
- करों का बँटवारा (Article 270)
2. क्षैतिज राजकोषीय असंतुलन (Horizontal Fiscal Imbalance)
अर्थ
जब विभिन्न राज्यों के बीच आय क्षमता और विकास स्तर में असमानता होती है।
भारत में उदाहरण
- महाराष्ट्र, तमिलनाडु → उच्च राजस्व क्षमता
- बिहार, झारखंड → कम राजस्व क्षमता
कारण
- औद्योगिक असमानता
- प्राकृतिक संसाधनों का असमान वितरण
- ऐतिहासिक पिछड़ापन
समाधान
- वित्त आयोग द्वारा समानिकरण अनुदान (Equalization Grants)
- पिछड़े राज्यों को विशेष सहायता
3. संरचनात्मक राजकोषीय असंतुलन (Structural Fiscal Imbalance)
अर्थ
जब अर्थव्यवस्था की मूल संरचना ही ऐसी हो कि आय हमेशा व्यय से कम रहे।
उदाहरण:
- सब्सिडी आधारित अर्थव्यवस्था
- कमजोर कर-आधार
- बड़े अनौपचारिक क्षेत्र (Informal Sector)
भारत में यह समस्या कृषि और MSME सेक्टर से जुड़ी हुई है।
4. चक्रीय राजकोषीय असंतुलन (Cyclical Fiscal Imbalance)
अर्थ
व्यवसाय चक्र (Boom–Recession) के कारण उत्पन्न असंतुलन।
📉 मंदी के समय:
- कर संग्रह घटता है
- सरकारी खर्च बढ़ता है
उदाहरण:
- COVID-19 के दौरान भारत का राजकोषीय घाटा बढ़ना
5. राजस्व असंतुलन (Revenue Imbalance)
अर्थ
जब सरकार की राजस्व प्राप्तियाँ अपने राजस्व व्यय को पूरा नहीं कर पातीं।
यह स्थिति राजस्व घाटा (Revenue Deficit) को जन्म देती है।
UPSC पॉइंट:
राजस्व घाटा = भविष्य की विकास क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव
भारत में राजकोषीय असंतुलन के प्रमुख कारण
- कर-आधार का संकीर्ण होना
- सब्सिडी और कल्याणकारी योजनाओं का बोझ
- राज्यों की सीमित कर शक्तियाँ
- जनसंख्या और क्षेत्रीय असमानता
- राजनीतिक लोकलुभावन नीतियाँ
राजकोषीय असंतुलन के प्रभाव
अर्थव्यवस्था पर
- सार्वजनिक ऋण में वृद्धि
- मुद्रास्फीति का दबाव
- निवेश में कमी
संघीय ढाँचे पर
- राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता प्रभावित
- केंद्र-राज्य तनाव
समाधान और सुधार (Way Forward)
वित्त आयोग की भूमिका को मजबूत करना
GST व्यवस्था में राज्यों को अधिक लचीलापन
कर सुधार और टैक्स बेस का विस्तार
व्यय की गुणवत्ता (Quality of Spending)
राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM)
UPSC उत्तर लेखन के लिए 5 गोल्डन टिप्स
- शुरुआत परिभाषा + संदर्भ से करें
- ऊर्ध्वाधर + क्षैतिज असंतुलन जरूर लिखें
- वित्त आयोग और संविधान का उल्लेख करें
- भारत का समसामयिक उदाहरण जोड़ें
- अंत में संतुलित समाधान दें
निष्कर्ष
राजकोषीय असंतुलन केवल एक आर्थिक समस्या नहीं, बल्कि भारत के संघीय ढाँचे और समावेशी विकास से जुड़ा विषय है।
यदि सही ढंग से प्रबंधित किया जाए, तो यह असंतुलन संतुलित विकास का अवसर भी बन सकता है।
लेखक : पंकज कुमार
मैं पंकज कुमार 2018 से ब्लॉगिंग के दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य छात्रों और युवाओं को सही करियर दिशा देना है। यहाँ हम आसान भाषा में करियर गाइड, भविष्य में डिमांड वाले कोर्स, जॉब टिप्स, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षा से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।
हम रिसर्च-बेस्ड और प्रैक्टिकल कंटेंट देते हैं, ताकि आप बिना कंफ्यूजन के अपने करियर के लिए सही फैसला ले सकें।
टिप्पणियाँ