यूपीएससी (GS Paper II, III और निबंध) के दृष्टिकोण से यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह वैश्विक घटनाओं का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव समझने में सहायक है। इस लेख में उदाहरण, आंकड़े (डाटा) और भारत के संदर्भ के साथ संपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
वर्तमान वैश्विक आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार कारक: उदाहरण, डाटा और भारत का संदर्भ
भूमिका
वर्तमान वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी, उच्च महँगाई, ऋण संकट, वित्तीय अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनाव के दौर से गुजर रही है। यह संकट किसी एक कारण का परिणाम नहीं, बल्कि कई आर्थिक, राजनीतिक, पर्यावरणीय और तकनीकी कारकों की संयुक्त अभिव्यक्ति है।
1. कोविड-19 महामारी का दीर्घकालिक आर्थिक प्रभाव
कोविड-19 ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की नींव को हिला दिया। IMF के अनुसार, 2020 में वैश्विक GDP में लगभग 3% की गिरावट दर्ज की गई।
वैश्विक प्रभाव
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला (Supply Chain) में व्यवधान
- MSME सेक्टर का पतन
- राजकोषीय घाटे में तेज़ वृद्धि
भारत का संदर्भ
- 2020-21 में भारत की GDP वृद्धि दर (-7.3%) रही
- लाखों प्रवासी श्रमिकों का रोजगार छिनना
- सरकार द्वारा आत्मनिर्भर भारत पैकेज (~20 लाख करोड़ रुपये) की घोषणा
2. रूस-यूक्रेन युद्ध और भू-राजनीतिक अस्थिरता
2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को गंभीर रूप से प्रभावित किया।
वैश्विक प्रभाव
- कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुँचीं
- यूरोप में ऊर्जा संकट
- गेहूँ और उर्वरक आपूर्ति बाधित
भारत का संदर्भ
- भारत विश्व का प्रमुख गेहूँ और उर्वरक आयातक
- कच्चे तेल का 85% आयात → चालू खाता घाटे (CAD) पर दबाव
- रूस से रियायती तेल खरीदकर भारत ने रणनीतिक संतुलन साधा
3. वैश्विक महँगाई (Global Inflation)
महामारी के बाद अत्यधिक प्रोत्साहन पैकेज और आपूर्ति बाधाओं के कारण वैश्विक महँगाई रिकॉर्ड स्तर पर पहुँची।
उदाहरण
- अमेरिका में 2022 में महँगाई दर 9% के आसपास
- यूरोप में खाद्य और ऊर्जा महँगाई चरम पर
भारत का संदर्भ
- भारत में खुदरा महँगाई (CPI) कई महीनों तक RBI की सहनशील सीमा (6%) से ऊपर रही
- खाद्य और ईंधन कीमतों का आम जनता पर सीधा असर
4. ब्याज दरों में वृद्धि और मौद्रिक सख्ती
महँगाई को नियंत्रित करने हेतु केंद्रीय बैंकों ने सख्त मौद्रिक नीति अपनाई।
वैश्विक प्रभाव
- US Federal Reserve द्वारा आक्रामक दर वृद्धि
- विकासशील देशों से पूँजी का बहिर्गमन
भारत का संदर्भ
- RBI ने रेपो रेट 4% से बढ़ाकर 6.5% किया
- होम लोन, MSME ऋण महँगे हुए
- निवेश और खपत पर असर
5. विकासशील देशों का ऋण संकट
विश्व बैंक के अनुसार, कई निम्न और मध्यम आय वाले देश ऋण संकट की स्थिति में हैं।
उदाहरण
- श्रीलंका का दिवालियापन (2022)
- अफ्रीकी देशों में Debt Distress
भारत का संदर्भ
- भारत की विदेशी ऋण स्थिति अपेक्षाकृत स्थिर
- मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार (~600 अरब डॉलर के आसपास)
- फिर भी वैश्विक अस्थिरता का अप्रत्यक्ष प्रभाव
6. वैश्वीकरण में कमी और संरक्षणवाद (Deglobalization)
आज विश्व Free Trade से Strategic Trade की ओर बढ़ रहा है।
वैश्विक प्रवृत्ति
- अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध
- सप्लाई चेन का री-शोरिंग और फ्रेंड-शोरिंग
भारत का संदर्भ
- भारत का फोकस: Make in India, PLI Scheme
- RCEP से बाहर रहना → घरेलू उद्योग संरक्षण
7. जलवायु परिवर्तन और आर्थिक अस्थिरता
जलवायु परिवर्तन अब एक गंभीर आर्थिक चुनौती बन चुका है।
वैश्विक प्रभाव
- कृषि उत्पादन में गिरावट
- आपदाओं से अरबों डॉलर का नुकसान
भारत का संदर्भ
- बाढ़, सूखा और हीटवेव से कृषि पर असर
- खाद्य महँगाई और ग्रामीण आय में गिरावट
- भारत का लक्ष्य: Net Zero by 2070
8. तकनीकी परिवर्तन, AI और रोजगार संकट
ऑटोमेशन और AI ने कार्य संस्कृति को बदला है।
वैश्विक प्रभाव
- जॉब डिस्प्लेसमेंट
- स्किल गैप में वृद्धि
भारत का संदर्भ
- डेमोग्राफिक डिविडेंड के साथ स्किल चैलेंज
- सरकार की पहल: Skill India, Digital India
निष्कर्ष (Conclusion)
वर्तमान वैश्विक आर्थिक संकट बहु-आयामी और आपस में जुड़े कारकों का परिणाम है। महामारी, युद्ध, महँगाई, ऋण संकट और जलवायु परिवर्तन ने मिलकर वैश्विक विकास को धीमा किया है।
भारत के लिए मार्ग आगे (Way Forward)
- मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता बनाए रखना
- समावेशी विकास पर ज़ोर
- वैश्विक मंचों पर सक्रिय भूमिका (G20)
- आत्मनिर्भरता और वैश्विक सहयोग का संतुलन
यह विषय यूपीएससी प्रीलिम्स, मेन्स और निबंध—तीनों के लिए अत्यंत उपयोगी है।
लेखक : पंकज कुमार
मैं पंकज कुमार 2018 से ब्लॉगिंग के दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य छात्रों और युवाओं को सही करियर दिशा देना है। यहाँ हम आसान भाषा में करियर गाइड, भविष्य में डिमांड वाले कोर्स, जॉब टिप्स, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षा से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।
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