राजकोषीय प्रणाली किसी भी देश की आर्थिक रणनीति की रीढ़ मानी जाती है, क्योंकि यही सरकार के राजस्व और व्यय के प्रबंधन के माध्यम से विकास की दिशा तय करती है। आर्थिक विकास की गति, स्थिरता और समावेशन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है।
आर्थिक विकास में राजकोषीय प्रणाली की भूमिका
(Role of Fiscal System in Economic Development – Indian Context)
“कोई भी अर्थव्यवस्था केवल बाज़ार की ताकतों से विकसित नहीं होती,
उसे दिशा देने के लिए राज्य की राजकोषीय शक्ति आवश्यक होती है।”
आज जब भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है, तब राजकोषीय प्रणाली (Fiscal System) की भूमिका और अधिक निर्णायक हो जाती है। यूपीएससी परीक्षा में यह विषय न केवल GS-III बल्कि निबंध और समसामयिक आर्थिक बहसों का भी अहम हिस्सा है।
राजकोषीय प्रणाली क्या है? (What is Fiscal System)
राजकोषीय प्रणाली सरकार द्वारा अपनाई गई उन नीतियों और संस्थागत व्यवस्थाओं का समूह है जिनके माध्यम से वह:
- कर (Taxation) एकत्र करती है
- सरकारी व्यय (Public Expenditure) करती है
- राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) का प्रबंधन करती है
- आर्थिक असमानता को कम करती है
👉 सरल शब्दों में, यह वह माध्यम है जिससे सरकार आर्थिक विकास की गति और दिशा तय करती है।
आर्थिक विकास में राजकोषीय प्रणाली की प्रमुख भूमिकाएँ
1️⃣ संसाधनों का कुशल आवंटन (Efficient Allocation of Resources)
विकासशील देशों जैसे भारत में निजी क्षेत्र सभी क्षेत्रों में निवेश नहीं करता।
यहाँ सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ता है—
🔹 शिक्षा
🔹 स्वास्थ्य
🔹 ग्रामीण आधारभूत संरचना
🔹 अनुसंधान एवं नवाचार
उदाहरण (भारत):
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के लिए बजटीय प्रावधान
- Ayushman Bharat के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश
📊 आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार,
भारत का पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) GDP का लगभग 3.3% तक पहुँच चुका है, जो दीर्घकालिक विकास को गति देता है।
2️⃣ आय और संपत्ति की असमानता में कमी (Reducing Inequality)
आर्थिक विकास तभी सार्थक है जब उसका लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे।
राजकोषीय प्रणाली यह कार्य करती है:
- प्रगतिशील कर व्यवस्था
- सब्सिडी और सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से
भारत का उदाहरण:
- PM-KISAN – किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता
- MGNREGA – ग्रामीण रोजगार और क्रय शक्ति में वृद्धि
👉 इससे समावेशी विकास (Inclusive Growth) को बढ़ावा मिलता है।
3️⃣ आर्थिक स्थिरता बनाए रखना (Economic Stabilization)
जब अर्थव्यवस्था मंदी या महँगाई से जूझती है, तब राजकोषीय नीति एक स्टेबलाइज़र की भूमिका निभाती है।
मंदी में → सरकारी खर्च बढ़ाया जाता है
महँगाई में → खर्च और सब्सिडी को नियंत्रित किया जाता है
COVID-19 के दौरान भारत:
- आत्मनिर्भर भारत पैकेज (लगभग ₹20 लाख करोड़)
- MSMEs, गरीबों और प्रवासी श्रमिकों को सीधा समर्थन
यह दर्शाता है कि संकट के समय राजकोषीय प्रणाली विकास की ढाल बनती है।
4️⃣ आधारभूत संरचना का विकास (Infrastructure Development)
कोई भी अर्थव्यवस्था बिना मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर के आगे नहीं बढ़ सकती।
राजकोषीय व्यय के माध्यम से सरकार निवेश करती है:
- सड़क, रेलवे, बंदरगाह
- डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर
- ऊर्जा और लॉजिस्टिक्स
भारत का उदाहरण:
- National Infrastructure Pipeline (NIP)
- PM Gati Shakti योजना
📈 इन योजनाओं से निजी निवेश (Crowding-in Effect) भी बढ़ता है।
5️⃣ मानव पूंजी निर्माण (Human Capital Formation)
लंबी अवधि के आर्थिक विकास की कुंजी है—स्वस्थ और कुशल जनसंख्या।
राजकोषीय प्रणाली योगदान देती है:
- सरकारी स्कूल-कॉलेज
- स्किल इंडिया मिशन
- पोषण और स्वास्थ्य कार्यक्रम
👉 विश्व बैंक के अनुसार,
भारत की Human Capital Index में सुधार सीधे सरकारी निवेश से जुड़ा है।
राजकोषीय प्रणाली की चुनौतियाँ (Challenges in India)
यूपीएससी उत्तर में संतुलन आवश्यक है। इसलिए सीमाएँ भी समझना जरूरी है—
उच्च राजकोषीय घाटा
सब्सिडी का अपव्यय
कर आधार का सीमित होना
राज्यों और केंद्र के बीच वित्तीय असंतुलन
FRBM अधिनियम के बावजूद घाटे पर नियंत्रण एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
आगे का रास्ता (Way Forward)
भारत को चाहिए कि वह:
उत्पादक पूंजीगत व्यय बढ़ाए
कर सुधारों के जरिए कर आधार विस्तृत करे
डिजिटल गवर्नेंस से लीकेज रोके
सहकारी संघवाद को मजबूत करे
👉 तभी राजकोषीय प्रणाली विकास का साधन नहीं, बल्कि विकास की रीढ़ बन सकेगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
आर्थिक विकास केवल GDP वृद्धि नहीं है, बल्कि समानता, स्थिरता और सततता का संतुलन है।
इस संतुलन को साधने का कार्य राजकोषीय प्रणाली ही करती है।
यूपीएससी के दृष्टिकोण से,
“राजकोषीय नीति वह उपकरण है जो आर्थिक सिद्धांतों को सामाजिक वास्तविकताओं से जोड़ती है।”
✍️ यूपीएससी उत्तर लेखन टिप:
“भारत जैसे विकासशील देश में आर्थिक विकास की दिशा और गति तय करने में राजकोषीय प्रणाली निर्णायक भूमिका निभाती है।”
— यह वाक्य परिचय या निष्कर्ष में सीधे उपयोग किया जा सकता है।
लेखक : पंकज कुमार
मैं पंकज कुमार 2018 से ब्लॉगिंग के दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य छात्रों और युवाओं को सही करियर दिशा देना है। यहाँ हम आसान भाषा में करियर गाइड, भविष्य में डिमांड वाले कोर्स, जॉब टिप्स, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षा से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।
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