अगर संकट अमीर देशों में आता है, तो सबसे ज़्यादा नुकसान गरीब और विकासशील देशों को क्यों होता है। इस ब्लॉग में हम विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर वैश्विक आर्थिक संकट के प्रभाव को UPSC-लेवल गहराई, आसान भाषा और समसामयिक उदाहरणों के साथ समझेंगे।
वैश्विक आर्थिक संकट और विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ: झटके, चुनौतियाँ और उभरते अवसर
सोचिए ज़रा…
अमेरिका या यूरोप में आई मंदी का असर भारत, ब्राज़ील या अफ्रीकी देशों पर क्यों पड़ता है?
क्यों अचानक डॉलर महँगा हो जाता है, नौकरियाँ कम होने लगती हैं और सरकारों को कर्ज़ लेना पड़ता है?
यही है वैश्विक आर्थिक संकट (Global Economic Crisis) का असली प्रभाव जो सीमाओं को नहीं मानता।
वैश्विक आर्थिक संकट क्या है? (What is Global Economic Crisis?)
वैश्विक आर्थिक संकट वह स्थिति है जब दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ आर्थिक अस्थिरता आ जाती है, जैसे—
- GDP में गिरावट
- बेरोज़गारी में वृद्धि
- व्यापार और निवेश में कमी
- बैंकिंग व वित्तीय प्रणाली का संकट
प्रमुख उदाहरण:
- 1930 का महामंदी (Great Depression)
- 2008 का वैश्विक वित्तीय संकट
- COVID-19 महामारी जनित आर्थिक संकट
- 2022–23 वैश्विक महँगाई व बैंकिंग तनाव
विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ: एक संक्षिप्त परिचय
विकासशील अर्थव्यवस्थाएँ वे देश हैं जहाँ—
- प्रति व्यक्ति आय कम
- औद्योगीकरण अधूरा
- विदेशी पूंजी पर निर्भरता अधिक
- जनसंख्या वृद्धि तेज़
👉 उदाहरण: भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, ब्राज़ील, नाइजीरिया, इंडोनेशिया
वैश्विक आर्थिक संकट के विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर प्रमुख प्रभाव
1️⃣ आर्थिक वृद्धि दर (GDP Growth) में गिरावट
जब विकसित देशों में मंदी आती है—
- निर्यात घटता है
- विदेशी मांग कम होती है
- उद्योगों का उत्पादन रुकता है
भारत में 2008 संकट के बाद GDP ग्रोथ 9% से गिरकर ~6% रह गई थी।
2️⃣ विदेशी निवेश (FDI & FPI) में भारी कमी
वैश्विक संकट के समय निवेशक—
- जोखिम से बचते हैं
- पूंजी अपने देश वापस ले जाते हैं
परिणाम:
- शेयर बाजार गिरता है
- मुद्रा अवमूल्यन होता है
- रोजगार सृजन प्रभावित होता है
3️⃣ मुद्रा अवमूल्यन और आयात महँगाई
जब डॉलर मज़बूत होता है—
- रुपये जैसी मुद्राएँ कमज़ोर पड़ती हैं
- कच्चा तेल, उर्वरक, दवाइयाँ महँगी हो जाती हैं
सीधा असर:
➡️ महँगाई बढ़ती है
➡️ आम आदमी की क्रय शक्ति घटती है
4️⃣ बेरोज़गारी और असंगठित क्षेत्र पर मार
विकासशील देशों में—
- 80–90% रोज़गार असंगठित क्षेत्र में होता है
संकट के समय:
- MSMEs बंद होती हैं
- मजदूरों की छँटनी होती है
- प्रवासी मज़दूर सबसे अधिक प्रभावित होते हैं
COVID-19 इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
5️⃣ राजकोषीय घाटा और सार्वजनिक ऋण में वृद्धि
सरकारें संकट से निपटने के लिए—
- सब्सिडी बढ़ाती हैं
- राहत पैकेज देती हैं
- टैक्स में छूट देती हैं
नतीजा:
- Fiscal Deficit बढ़ता है
- सार्वजनिक ऋण का बोझ बढ़ता है
6️⃣ गरीबी और असमानता में वृद्धि
वैश्विक संकट—
- गरीबों को और गरीब बनाता है
- अमीर–गरीब की खाई बढ़ाता है
विश्व बैंक के अनुसार, COVID संकट के बाद करोड़ों लोग पुनः गरीबी रेखा के नीचे चले गए।
7️⃣ सामाजिक-राजनीतिक अस्थिरता
आर्थिक संकट का सामाजिक असर:
- विरोध प्रदर्शन
- राजनीतिक अस्थिरता
- नीतिगत निर्णयों पर दबाव
श्रीलंका का हालिया आर्थिक संकट इसका जीवंत उदाहरण है।
UPSC पैटर्न इन्फोग्राफिक (वर्णनात्मक)
वैश्विक संकट
↓
निर्यात ↓ निवेश ↓
↓
GDP Growth ↓
↓
बेरोज़गारी ↑ → गरीबी ↑
↓
राजकोषीय घाटा ↑
क्या संकट में अवसर भी छिपे होते हैं?
हाँ! अगर नीतियाँ सही हों तो—
संरचनात्मक सुधार
- श्रम सुधार
- बैंकिंग सुधार
- डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
आत्मनिर्भरता की ओर कदम
- घरेलू उत्पादन
- MSME सशक्तिकरण
- Make in India जैसे अभियान
भारत जैसे देशों के लिए नीतिगत समाधान
🔹 1. विविधीकृत निर्यात रणनीति
🔹 2. विदेशी पूंजी पर निर्भरता कम करना
🔹 3. मजबूत सामाजिक सुरक्षा तंत्र
🔹 4. डिजिटल और हरित अर्थव्यवस्था में निवेश
🔹 5. क्षेत्रीय सहयोग (Global South Cooperation)
UPSC उत्तर लेखन हेतु 5 लाइन का निष्कर्ष
वैश्विक आर्थिक संकट विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की संरचनात्मक कमजोरियों को उजागर करता है।
इसके प्रभाव आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सभी स्तरों पर देखे जाते हैं।
हालांकि, यह संकट सुधार और आत्मनिर्भरता का अवसर भी प्रदान करता है।
सुदृढ़ संस्थान, विवेकपूर्ण नीतियाँ और समावेशी विकास ही समाधान हैं।
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
वैश्विक आर्थिक संकट का सबसे बड़ा प्रभाव क्या होता है?
बेरोज़गारी, महँगाई और आर्थिक वृद्धि में गिरावट।
क्या सभी विकासशील देश समान रूप से प्रभावित होते हैं?
नहीं, जिनकी अर्थव्यवस्था विविध और मजबूत होती है, वे जल्दी उबर जाते हैं।
भारत इस संकट से कैसे निपट सकता है?
सुधार, निवेश, डिजिटल अर्थव्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा के माध्यम से।
Final Word (Human Touch)
सच यही है —
वैश्विक आर्थिक संकट किसी एक देश की समस्या नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की साझा चुनौती है।
विकासशील देशों के लिए यह परीक्षा भी है और अवसर भी।
अगर आपने इसे सही रणनीति से संभाल लिया,
तो संकट ही सशक्त भविष्य की नींव बन सकता है।
लेखक : पंकज कुमार
मैं पंकज कुमार 2018 से ब्लॉगिंग के दुनिया में सक्रिय हूं। मेरा उद्देश्य छात्रों और युवाओं को सही करियर दिशा देना है। यहाँ हम आसान भाषा में करियर गाइड, भविष्य में डिमांड वाले कोर्स, जॉब टिप्स, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षा से जुड़ी विश्वसनीय जानकारी प्रदान करते हैं।
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