jal vidyut urja, जल विद्युत ऊर्जा क्या है, जल विद्युत ऊर्जा के लाभ, हानि और प्रभावित करने वाले कारक क्या है
पनबिजली या हाइड्रोलिक पावर वह बिजली है जो तब बनती है जब ऊर्जा बहते पानी से ली जाती है। इसमें टरबाइन के सहारे बिजली उत्पादन की जाती है। जल विद्युत ऊर्जा गतिज ऊर्जा को बिजली ऊर्जा में बदलती है।
जल विद्युत ऊर्जा (Hydroelectric Power)" पर का एक विस्तृत, गहन और व्यवस्थित लेख दूँगा। इसमें ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, वैज्ञानिक सिद्धांत, तकनीकी पक्ष, लाभ-हानि, भारत और विश्व में स्थिति, पर्यावरणीय व सामाजिक प्रभाव, भविष्य की संभावनाएँ, तथा निष्कर्ष सब शामिल रहेंगे।
जल विद्युत ऊर्जा : एक विस्तृत व्याख्या
प्रस्तावना
मानव सभ्यता की प्रगति ऊर्जा पर आधारित रही है। ऊर्जा के बिना न तो औद्योगिक क्रांति संभव थी और न ही आधुनिक विज्ञान व तकनीक का विकास। आज विश्व जिस तेज़ी से आगे बढ़ रहा है, उसमें स्वच्छ, सस्ती और नवीकरणीय ऊर्जा की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। इस परिप्रेक्ष्य में जल विद्युत ऊर्जा (Hydroelectric Power) सबसे महत्वपूर्ण, विश्वसनीय और प्राचीनतम नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में गिनी जाती है। यह ऊर्जा जल प्रवाह या जलधारा की शक्ति को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके प्राप्त की जाती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- प्राचीन काल : जल का उपयोग अनाज पीसने और सिंचाई के लिए किया जाता था। प्राचीन यूनान और चीन में जलचक्की (Water Mill) का प्रयोग होता था।
- मध्यकाल : यूरोप में जलचक्कियों का उपयोग लोहे गलाने और लकड़ी काटने के लिए भी होने लगा।
- आधुनिक काल : 1882 में अमेरिका के विस्कॉन्सिन राज्य में पहला जल विद्युत संयंत्र बना। इसके बाद कनाडा, यूरोप और एशिया में कई बांध और जलविद्युत गृह बने।
- भारत में : 1897 में दार्जिलिंग (West Bengal) में पहला जल विद्युत स्टेशन बनाया गया था। इसके बाद 1902 में शिवसमुद्रम (कर्नाटक) परियोजना स्थापित हुई, जिसे एशिया की पहली बड़ी जलविद्युत परियोजना माना जाता है।
जल विद्युत ऊर्जा का वैज्ञानिक आधार
जल विद्युत ऊर्जा का सिद्धांत जल की स्थितिज ऊर्जा (Potential Energy) और गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) पर आधारित है।
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सिद्धांत
- ऊँचाई से गिरते हुए जल में बहुत अधिक स्थितिज ऊर्जा होती है।
- जब जल नीचे की ओर गिरता है तो यह ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है।
- इस गतिज ऊर्जा से टरबाइन (Turbine) घूमती है।
- टरबाइन जनरेटर (Generator) से जुड़ी होती है, जो विद्युत धारा उत्पन्न करता है।
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समीकरण
- उपलब्ध शक्ति (Power) = ρ × g × h × Q
- जहाँ,
- ρ = जल का घनत्व (1000 kg/m³)
- g = गुरुत्वाकर्षण त्वरण (9.8 m/s²)
- h = जल की ऊँचाई (Head)
- Q = जल का प्रवाह दर (Flow rate)
जल विद्युत संयंत्र के प्रमुख घटक
- बांध (Dam) – जल को रोककर ऊँचाई पर स्थितिज ऊर्जा पैदा करता है।
- जलाशय (Reservoir) – पानी संग्रहित करने के लिए।
- प्रवेश द्वार (Intake Gate) – पानी को नियंत्रित मात्रा में छोड़ने के लिए।
- पेनस्टॉक (Penstock) – बड़ी पाइपलाइन जिसमें से पानी तेज़ी से टरबाइन तक पहुँचता है।
- टरबाइन (Turbine) – जल प्रवाह की शक्ति से घूमता है।
- जनरेटर (Generator) – टरबाइन की यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदलता है।
- स्विचयार्ड (Switchyard) – बिजली का वितरण केंद्र।
जल विद्युत परियोजनाओं के प्रकार
- भंडारण आधारित (Storage Type) – पानी को बांध बनाकर रोका जाता है और आवश्यकता अनुसार छोड़ा जाता है।
- नदी प्रवाह आधारित (Run-of-the-river Type) – इसमें बांध छोटा होता है और बिजली निरंतर उत्पन्न होती रहती है।
- पंप भंडारण परियोजना (Pumped Storage Project) – अतिरिक्त बिजली से पानी को ऊपर पंप किया जाता है और ज़रूरत पड़ने पर नीचे गिराकर बिजली बनाई जाती है।
- लघु जल विद्युत परियोजना (Small Hydro Projects) – छोटे स्तर पर गाँव, कस्बों की ज़रूरत पूरी करने हेतु।
भारत में जल विद्युत
भारत जल विद्युत ऊर्जा उत्पादन में विश्व में पाँचवें स्थान पर है।
- कुल क्षमता (2025 तक) : लगभग 47,000 मेगावाट स्थापित क्षमता।
- मुख्य परियोजनाएँ :
- भाखड़ा-नांगल (पंजाब-हिमाचल)
- टिहरी (उत्तराखंड)
- सरदार सरोवर (गुजरात)
- हीराकुंड (ओडिशा)
- इडुक्की (केरल)
- लघु जल विद्युत : भारत ने 25 मेगावाट से कम क्षमता वाले हजारों छोटे प्रोजेक्ट भी शुरू किए हैं।
विश्व में जल विद्युत
- शीर्ष देश :
- चीन (सबसे बड़ा उत्पादक, थ्री गॉर्जेस डैम - 22,500 मेगावाट)
- ब्राज़ील
- अमेरिका
- कनाडा
- भारत
- वैश्विक योगदान : विश्व की लगभग 16% बिजली जल विद्युत से आती है।
जल विद्युत ऊर्जा के लाभ
- नवीकरणीय और अक्षय ऊर्जा स्रोत।
- प्रदूषण रहित, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम।
- कम लागत में बिजली उत्पादन (दीर्घकालिक)।
- सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और मत्स्य पालन में सहायक।
- बाढ़ नियंत्रण में मददगार।
- ऊर्जा भंडारण (Pumped storage) की क्षमता।
जल विद्युत ऊर्जा की हानियाँ
- बांध बनने से बड़े क्षेत्र डूब जाते हैं।
- वन, वन्यजीव और स्थानीय समुदाय प्रभावित होते हैं।
- विस्थापन और पुनर्वास की समस्या।
- भूकंप संभावित क्षेत्रों में खतरा।
- नदी के प्राकृतिक प्रवाह और पारिस्थितिकी पर नकारात्मक असर।
- लंबे समय बाद सिल्ट भरने से बांध की क्षमता घट जाती है।
पर्यावरणीय प्रभाव
- जैव विविधता पर प्रभाव – नदियों की मछलियाँ और जलीय जीव प्रभावित होते हैं।
- सूक्ष्म जलवायु परिवर्तन – जलाशय क्षेत्र में तापमान व आर्द्रता बदल जाती है।
- कार्बन उत्सर्जन – जलाशयों में कार्बनिक पदार्थ सड़ने से मीथेन निकल सकती है।
सामाजिक प्रभाव
- लाखों लोग विस्थापित होते हैं।
- पारंपरिक आजीविका (कृषि, मत्स्य पालन) पर असर।
- सांस्कृतिक धरोहरें और धार्मिक स्थल डूब सकते हैं।
जल विद्युत ऊर्जा और सतत विकास
संयुक्त राष्ट्र के SDGs (Sustainable Development Goals) में स्वच्छ ऊर्जा (SDG-7), जल प्रबंधन (SDG-6), जलवायु कार्रवाई (SDG-13) आदि लक्ष्यों को पूरा करने में जल विद्युत की बड़ी भूमिका है।
भविष्य की संभावनाएँ
- भारत : 150,000 मेगावाट की संभावित क्षमता है, अभी केवल 1/3 उपयोग हो रहा है।
- प्रौद्योगिकी विकास : फ्लोटिंग हाइड्रो, माइक्रो-हाइड्रो, हाइब्रिड (सौर+हाइड्रो) परियोजनाएँ।
- नीतिगत पहल : नवीकरणीय ऊर्जा के हिस्से के रूप में सरकार इसका तेजी से विस्तार कर रही है।
निष्कर्ष
जल विद्युत ऊर्जा एक स्वच्छ, सस्ती और दीर्घकालिक ऊर्जा का स्रोत है। यह केवल बिजली ही नहीं देता बल्कि सिंचाई, पेयजल, बाढ़ नियंत्रण और आर्थिक विकास में भी सहायक है। हालांकि इसके पर्यावरणीय और सामाजिक दुष्प्रभावों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। उचित योजना, पर्यावरण-अनुकूल तकनीक और स्थानीय समुदायों की भागीदारी से यह ऊर्जा सतत विकास का आधार बन सकती है।
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